परमाणु बम का इतिहास-
परमाणु बम का इतिहास विज्ञान और मानव सभ्यता के एक बड़े मोड़ से जुड़ा हुआ है। यह एक ऐसा हथियार है जो अकल्पनीय विनाश की क्षमता रखता है, और इसके निर्माण की कहानी विज्ञान, युद्ध, और राजनीति से गहराई से जुड़ी है।
परमाणु बम का आरंभ-
20वीं सदी की शुरुआत में, वैज्ञानिकों ने परमाणु विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण खोजें कीं। 1930 के दशक में, जर्मनी में एडोल्फ हिटलर के नेतृत्व में नाजियों के उदय के बाद, यह संदेह बढ़ने लगा कि जर्मन वैज्ञानिक परमाणु बम बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके जवाब में, कई वैज्ञानिक, जिनमें अल्बर्ट आइंस्टीन और लेओ स्ज़ीलार्ड शामिल थे, ने अमेरिकी सरकार को एक पत्र लिखा, जिसमें चेतावनी दी गई कि जर्मनी एक विनाशकारी हथियार बनाने की कोशिश कर रहा है। इस चेतावनी के परिणामस्वरूप अमेरिका में मैनहट्टन परियोजना (Manhattan Project) की शुरुआत हुई।
मैनहट्टन परियोजना और परमाणु बम का निर्माण-
मैनहट्टन परियोजना 1942 में शुरू की गई, और इसका मुख्य उद्देश्य परमाणु बम का विकास करना था। इस परियोजना में अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा के वैज्ञानिकों ने मिलकर काम किया। जे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर इस परियोजना के प्रमुख वैज्ञानिक थे। हजारों वैज्ञानिक और इंजीनियर इस परियोजना में शामिल हुए, और अंततः 16 जुलाई, 1945 को न्यू मैक्सिको के रेगिस्तान में पहला परमाणु परीक्षण सफलतापूर्वक किया गया। इसे “ट्रिनिटी टेस्ट” कहा गया।
हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराया जाना-
जब द्वितीय विश्व युद्ध में जापान ने आत्मसमर्पण करने से इनकार कर दिया, तब अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने परमाणु बम का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया। 6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर पहला परमाणु बम गिराया, जिसका नाम “लिटिल बॉय” था। इस बम ने हिरोशिमा को पूरी तरह से तबाह कर दिया, और 70,000 से अधिक लोग तुरंत मारे गए। इसके बाद, 9 अगस्त 1945 को नागासाकी पर दूसरा बम “फैट मैन” गिराया गया, जिसमें भी हजारों लोग मारे गए। इन बमों ने युद्ध को समाप्त करने में मदद की, लेकिन इसके परिणामस्वरूप मानवता को भारी कीमत चुकानी पड़ी।
परमाणु बम कैसे काम करता है?
परमाणु बम का कार्य करने का सिद्धांत परमाणु विखंडन (Fission) और परमाणु संलयन (Fusion) पर आधारित होता है। यह प्रक्रिया ऊर्जा के विशाल विस्फोट को जन्म देती है। आइए इसे सरल भाषा में समझते हैं:
1. परमाणु विखंडन (Fission) बम-
विखंडन आधारित परमाणु बम, जिसे फिशन बम भी कहते हैं, में भारी तत्वों (जैसे यूरेनियम-235 या प्लूटोनियम-239) का विखंडन किया जाता है। जब इन तत्वों के परमाणुओं को न्यूट्रॉन से टकराया जाता है, तो उनका नाभिक (nucleus) टूट जाता है। यह प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में होती है:
प्रक्रिया:
न्यूट्रॉन की बमबारी: एक न्यूट्रॉन को यूरेनियम-235 या प्लूटोनियम-239 परमाणु के नाभिक से टकराया जाता है।
नाभिक का विखंडन: जब न्यूट्रॉन नाभिक से टकराता है, तो नाभिक टूट जाता है और दो छोटे परमाणु (फिशन उत्पाद) बनते हैं। साथ ही, इस प्रक्रिया में 2-3 नए न्यूट्रॉन भी निकलते हैं।
श्रृंखलाबद्ध प्रतिक्रिया (Chain Reaction): नए न्यूट्रॉन अन्य परमाणुओं से टकराते हैं, और यह प्रक्रिया तेजी से फैलती है। हर बार नाभिक के टूटने से बहुत अधिक ऊर्जा (गर्मी और विकिरण) निकलती है।
विस्फोट: श्रृंखलाबद्ध प्रतिक्रिया से इतनी ज्यादा ऊर्जा उत्पन्न होती है कि एक विस्फोटक रूप में निकलती है, जिससे बड़े पैमाने पर विनाश होता है।
उदाहरण: हिरोशिमा पर गिराए गए बम (“लिटिल बॉय”) में यूरेनियम-235 का इस्तेमाल किया गया था, और नागासाकी पर गिराए गए बम (“फैट मैन”) में प्लूटोनियम-239 का।
2. परमाणु संलयन (Fusion) बम या हाइड्रोजन बम-
संलयन आधारित बम, जिसे हाइड्रोजन बम या थर्मोन्यूक्लियर बम भी कहते हैं, में हल्के तत्वों (जैसे हाइड्रोजन के आइसोटोप – ड्यूटेरियम और ट्रिटियम) के नाभिकों को आपस में मिलाकर भारी नाभिक बनाया जाता है। इस प्रक्रिया में अत्यधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
प्रक्रिया:
विखंडन बम का उपयोग: सबसे पहले, संलयन प्रक्रिया शुरू करने के लिए एक विखंडन बम (फिशन बम) का उपयोग किया जाता है। यह फिशन बम बड़ी मात्रा में गर्मी और दबाव उत्पन्न करता है।
संलयन प्रक्रिया: इस गर्मी और दबाव के कारण ड्यूटेरियम और ट्रिटियम के नाभिक आपस में मिलते हैं, जिससे हीलियम का नाभिक बनता है। इस प्रक्रिया में भी बहुत अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
विस्फोट: संलयन से उत्पन्न ऊर्जा फिशन बम की तुलना में कई गुना अधिक होती है, जिससे हाइड्रोजन बम का विस्फोट कई लाख टन टीएनटी के बराबर हो सकता है।
विशेषताएँ:
-हाइड्रोजन बम परमाणु फिशन बम की तुलना में कहीं अधिक शक्तिशाली होता है।
-हाइड्रोजन बम में दोहरे चरण (विखंडन और संलयन) का उपयोग होता है, जिससे अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
परमाणु बम का प्रभाव-
परमाणु बम का विस्फोट बहुत अधिक ऊर्जा उत्पन्न करता है, जो विभिन्न रूपों में फैलती है:
विस्फोटक लहर (Blast wave): विस्फोट से उत्पन्न दबाव की लहर आसपास की इमारतों और वस्तुओं को तबाह कर देती है।
गर्मी (Heat): विस्फोट के केंद्र से इतनी ज्यादा गर्मी उत्पन्न होती है कि लोग, वस्त्र, और इमारतें जल सकती हैं।
विकिरण (Radiation): विस्फोट से निकलने वाली विकिरण लंबे समय तक पर्यावरण और जीवित प्राणियों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है, जिससे कैंसर जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं।
परमाणु वर्षा (Fallout): विकिरणयुक्त धूल और मलबा हवा में ऊपर उठकर बड़ी दूरी तक फैलता है, जिससे विकिरण का खतरा बढ़ता है।
निष्कर्ष-
परमाणु बम अत्यधिक विनाशकारी हथियार है, जो परमाणु विखंडन और संलयन के सिद्धांत पर काम करता है। इसके द्वारा उत्पन्न ऊर्जा लाखों लोगों की जान ले सकती है और शहरों को पूरी तरह तबाह कर सकती है। इसलिए, इसका उपयोग और प्रसार एक गंभीर वैश्विक चिंता का विषय बना हुआ है।
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